भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सरकारें नहीं सुनतीं / चरण जीत चरण

1,081 bytes added, रविवार को 17:26 बजे
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चरण जीत चरण |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGh...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=चरण जीत चरण
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
कि जैसे साइकिलों की घंटियाँ कारें नहीं सुनतीं
कुछ ऐसे मुफलिसों का दर्द सरकारें नहीं सुनतीं

किसी का झूठ भी चैनल पर ब्रेकिंग न्यूज बनता है
किसी का सच तलक खंडहर की दीवारें नहीं सुनतीं

हमें इक बार फ़िर से बात करनी चाहिए थी दोस्त
मुहब्बत, दोस्ती और अम्न तलवारें नहीं सुनतीं

नहीं जाता किसी सूरत भी ये अफ़सोस अब दिल से
मेरा रोना तेरी पायल की झनकारें नहीं सुनतीं
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
17,260
edits