भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमन मुसाफ़िर |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अमन मुसाफ़िर
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
हाथों से छूटती नहीं शराब रात रात
थककर बदन पे सो गया गुलाब रात रात

पलकों के दरमियान समन्दर छिपे कई
आँखों में तैरतें हैं मेरे ख़्वाब रात रात

जब चुप्पियों में ढल गए सारे सवाल यार
होठों से छीनता कोई जवाब रात रात

मुझसे कभी न पूछना हालात-ए-ज़िंदगी
करबट बदलते रहते हैं जनाब रात रात

लिखते सदा रहेंगे मुहब्बत की दास्ताँ
पढ़ते रहेंगे हुस्न की किताब रात रात
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
4,019
edits