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आर्त्तनाद / प्रताप नारायण सिंह

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<poem>
तुम चली गईगईं
मुझे एक अंतहीन नीरवता से आच्छादित करके।
मेरे तर्क
किन्तु मैं ऐसा कर नहीं पाया...
और तुम चली गईगईं
मुझसे निराश होकर...
 
(स्वगत)
अजीब सी नीरवता है...