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Kavita Kosh से
तज दिया था कल जिन को हमने तेरी चाहत में <br>
आज उन हसीनों से उनसे मजबूरन ताज़ा आशनाई की <br><br>
हो चला था जब मुझको इख़्तिलाफ़ अपने से <br>