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|रचनाकार=ज्ञान प्रकाश विवेक
|संग्रह=गुफ़्तगू अवाम से है / ज्ञान प्रकाश विवेक
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>

क्या पता किसकी निगहबानी में था
घ था कच्चा और वो पानी में था

मैंने लपटों को उठाया जिस क़दर-
सच कहूँ मैं ख़ुद भी हैरानी में था

खोलता कोई नहीं था साँकलें
वक़्त का मारा पशेमानी में था

आँख का तालाब छलका था ज़रा
शोर-सा कुछ मन की वीरानी में था

मेमने की ज़िन्दगी का सोचिए,
एक चीता उसकी अगवानी में था.
</poem>
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