भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|संग्रह=
}}
[[Category: त्रिवेणीग़ज़ल]]
<Poem>
हर शय में वह हैऔर उसका चेहरा है दर्द सिमटता नहींहाल हर पल बुरा है अंधेरों की आदत नहींजुगनुओं का पहरा है वह पसंद है मुझेउसका दिल गहरा है '''रचनाकाल : 20042005