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{{KKRachna
|रचनाकार=विनय प्रजापति 'नज़र'
}}
[[category: त्रिवेणी]]

<poem>
'''लेखन वर्ष: २००३

दिल का जला होता तब रोशनी होती
मैं तो जला हूँ चश्मे-अश्कबारी का…

अब मेरी ख़ाक इक निहाँ दलदल है!

चश्मे-अश्कबारी= rain of tears, निहाँ= hidden, buried
दलदल= marsh, quagmire, ख़ाक= ash, dust
</poem>