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जिस तरफ़ तूने आँख भर देखा|<br><br>
नाला फ़िरयाद , फ़रियाद, आह और ज़ारी,<br>
आप से हो सका सो कर देखा|<br><br>
उन लबों ने की न मसिहाईमसीहाई,<br>
हम ने सौ-सौ तरह से मर देखा|<br><br>
ज़ोर आशिक़ मिज़ाज है कोई,<br>
‘दर्द’ को कि़स्साक़िस्स:-ए- मुख्तसर देखा|<br><br>