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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनय प्रजापति 'नज़र' }} [[Category:ग़ज़ल]] <poem> '''लेखन वर्ष: ...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विनय प्रजापति 'नज़र'
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
'''लेखन वर्ष: २००४
जो लोग अच्छे होते हैं दिखते नहीं हैं
चाहने वाले बाज़ार में बिकते नहीं हैं
ख़ुद से पराया ग़ैरों से अपना रहे जो
ऐसे लोग एक दिल में टिकते नहीं हैं
सूरत से जो सीरत को छिपाये फिरते हैं
वो कभी सादा चेहरों में दिखते नहीं हैं
होता है नुमाया दिल को दिल से, दोस्त!
मन के भेद परदों में छिपते नहीं हैं
इन्साँ है वह जो जाने इन्सानियत
हैवान कभी निक़ाबों में छिपते नहीं हैं
वक़्त में दब जाती हैं कही-सुनी बातें
हम कभी कुछ दिल में रखते नहीं हैं
पलटते हैं जो कभी माज़ी के पन्नों को
ये आँसू तेरी याद में रुकते नहीं हैं
नहीं मरना आसाँ तो जीना भी आसाँ नहीं
चाहकर मिटने वाले मिटते नहीं हैं
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=विनय प्रजापति 'नज़र'
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
'''लेखन वर्ष: २००४
जो लोग अच्छे होते हैं दिखते नहीं हैं
चाहने वाले बाज़ार में बिकते नहीं हैं
ख़ुद से पराया ग़ैरों से अपना रहे जो
ऐसे लोग एक दिल में टिकते नहीं हैं
सूरत से जो सीरत को छिपाये फिरते हैं
वो कभी सादा चेहरों में दिखते नहीं हैं
होता है नुमाया दिल को दिल से, दोस्त!
मन के भेद परदों में छिपते नहीं हैं
इन्साँ है वह जो जाने इन्सानियत
हैवान कभी निक़ाबों में छिपते नहीं हैं
वक़्त में दब जाती हैं कही-सुनी बातें
हम कभी कुछ दिल में रखते नहीं हैं
पलटते हैं जो कभी माज़ी के पन्नों को
ये आँसू तेरी याद में रुकते नहीं हैं
नहीं मरना आसाँ तो जीना भी आसाँ नहीं
चाहकर मिटने वाले मिटते नहीं हैं
</poem>