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हम सुपारी-से / कुँअर बेचैन

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|रचनाकार=कुँअर बेचैन
}}
[[Category:कविताएँ]][[Category:कुँअर बेचैन]]<Poem>
दिन सरौता
 
हम सुपारी-से।
 
ज़िंदगी-है तश्तरी का पान
 
काल-घर जाता हुआ मेहमान
 
चार कंधों की
 
सवारी-से।
 
जन्म-अंकुर में बदलता बीज़
 
मृत्यु है कोई ख़रीदी चीज़
 
साँस वाली
 
रेजगारी-से।
 
बचपना-ज्यों सूर, कवि रसखान
 
है बुढ़ापा-रहिमना का ग्यान
 
दिन जवानी के
 
बिहारी-से।
 '''''-- यह कविता [[Dr.Bhawna Kunwar]] द्वारा कविता कोश में डाली गयी है।<br/poem><br>'''''
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