भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ज्ञान प्रकाश विवेक |संग्रह=आंखों में आसमान / ज्ञ...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ज्ञान प्रकाश विवेक
|संग्रह=आंखों में आसमान / ज्ञान प्रकाश विवेक
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
फिर आज बर्फ़ पर सूरज टहलने आया है
उदास धूप का मंज़र बदलने आया है

विषैला साँप है सूखा हुआ वो पात नहीं
जिसे तू पाँव से अपने मसलने आया है

तुम्हारे शहर का मौसम मुझे ज़हीन लगे
जो मेरे साथ किताबें बदलने आया है

हैं उसके हाथ में कुछ पक्षियों की आवाज़ें
कि जिनसे चुप्पियों का सर कुचलने आया है

वो दे न जाए पलायन की दीक्षा मुझको
कि जो भभूत मेरे तनपे मलने आया है.
</poem>
Anonymous user