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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहन साहिल |संग्रह=एक दिन टूट जाएगा पहाड़ / मोहन ...
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{{KKRachna
|रचनाकार=मोहन साहिल
|संग्रह=एक दिन टूट जाएगा पहाड़ / मोहन साहिल
}}
<poem>
मुझे आकाश जैसा नीलापन चाहिए
और सीमाओं रहित विस्तार
काले बादलों से घिरने के बावजूद
मैं रहना चाहता हूँ कोरा स्वच्छ
समेटना चाहता हूँ
पूरा का पूरा तारामण्डल
अपने भीतर
चमकता हुआ
ताकि देख पाए दुनिया
मेरे भीतर और भीतर
जहाँ छिपे हैं
ब्रह्माण्ड के अनगिनत रहस्य
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=मोहन साहिल
|संग्रह=एक दिन टूट जाएगा पहाड़ / मोहन साहिल
}}
<poem>
मुझे आकाश जैसा नीलापन चाहिए
और सीमाओं रहित विस्तार
काले बादलों से घिरने के बावजूद
मैं रहना चाहता हूँ कोरा स्वच्छ
समेटना चाहता हूँ
पूरा का पूरा तारामण्डल
अपने भीतर
चमकता हुआ
ताकि देख पाए दुनिया
मेरे भीतर और भीतर
जहाँ छिपे हैं
ब्रह्माण्ड के अनगिनत रहस्य
</poem>