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|रचनाकार=यश मालवीय
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ठोस लिखना या तरल लिखना
 
दोस्त मेरे कुछ सरल लिखना
 
आस्था के सिन्धु मंथन में
 
नाम पर मेरे गरल लिखना
 
भोर में भी एक सो रहे हैं जो
 
नींद में उनकी खलल लिखना
 
पाँव जब पथ से भटकते हों
 
गाँव की कोई मसल लिखना
 
झूठ का चेहरा उतर जाए
 
बात जब लिखना असल लिखना
 
पेट की जो आग है उसको
 
आग में झुलसी फसल लिखना
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