भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

धुंध / रेखा

465 bytes added, 23:02, 6 फ़रवरी 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेखा |संग्रह=चिंदी-चिंदी सुख / रेखा }} <poem> अचानक च...
{{KKGlobal}}

{{KKRachna

|रचनाकार=रेखा
|संग्रह=चिंदी-चिंदी सुख / रेखा
}}
<poem>
अचानक
चौंकती हूँ स्वप्न में
लगता है द्वार पर हुई दस्तक

सहसा
घाटी से धुंध
आकर लिपट जाती गिर्द

क्या तुम आओगे इसी तरह?

</poem>
Mover, Uploader
2,672
edits