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असंभव / केशव

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मैं
तुम्हारे पास से
उठ आया ऐसे
जैसे पेड़ से
पंछी
पहाड़ से
धूप

जाकर भी
तुम्हारे पासे से जा सकता हूँ
कैसे।
</poem>
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