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जब सूरज जग जाता है / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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14:10, 9 फ़रवरी 2009
डुबकी कभी लगाता है ।
<br>
पर्वत –घाटी पार करे<br>
मैदानों में चलता है ।<br>
दिनभर चलकर थक जाता <br>
साँझ हुए फिर ढलता है ।<br>
नींद उतरती आँखों में <br>
फिर सोने चल देता है ।<br>
हमें उजाला दे करके<br>
कभी नहीं कुछ लेता है <br>
Rameshwarkambojhimanshu
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