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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=बशीर बद्र]][[Category:कविताएँ]]}}
[[Category:गज़ल]]
[[Category:बशीर बद्र]]<poem>ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँफूलों में भी शोख़ी तो है किसको मगर तुझ सा कहूँ
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~गेसू उड़े महकी फ़िज़ा जादू करें आँखे तेरीसोया हुआ मंज़र कहूँ या जागता सपना कहूँ
ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ<br>फूलों में भी शोख़ी तो है किसको मगर तुझ सा कहूँ <br><br> गेसू उड़े महकी फ़िज़ा जादू करें आँखे तेरी<br>सोया हुआ मंज़र कहूँ या जागता सपना कहूँ <br><br> चंदा की तू है चांदनी लहरों की तू है रागिनी<br>जान-ए-तमन्ना मैं तुझे क्या क्या कहूँ क्या न कहूँ <br><br/poem>