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{{KKRachna
|रचनाकार=एम० के० मधु
|संग्रह=
}}
<Poem>
तुम छूते हो
दुखता है
लगाते हो
जब मरहम
घाव पर मेरे
मुझे
तुम्हारी पहचान नहीं
पर मेरे घावों को
तुम्हारी उँगलियों की पहचान है ।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=एम० के० मधु
|संग्रह=
}}
<Poem>
तुम छूते हो
दुखता है
लगाते हो
जब मरहम
घाव पर मेरे
मुझे
तुम्हारी पहचान नहीं
पर मेरे घावों को
तुम्हारी उँगलियों की पहचान है ।
</poem>