भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वेणु गोपाल |संग्रह= }} <poem> ऎसा क्यों होता है- कि पाठ...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वेणु गोपाल
|संग्रह=
}}
<poem>
ऎसा क्यों होता है-
कि पाठक
जब कविता पढ़ता है
तो
कवि के दर्शनों की
इच्छा करता है
और उससे मिलना चाहता है

लेकिन
जब कवि से मिल लेता है

तो
कवि के साथ-साथ
कविता को भी
गालियाँ देता हुआ लौटता है
</poem>