भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=येव्गेनी येव्तुशेंको |संग्रह=धूप खिली थी और रि...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=येव्गेनी येव्तुशेंको
|संग्रह=धूप खिली थी और रिमझिम वर्षा / येव्गेनी येव्तुशेंको
}}
[[Category:रूसी भाषा]]
<Poem>

मैं
तुमसे क्या कहूँ
ऎ रूस !
तेरे मैदान भी
उतने ही सुन्दर हैं
जितने सुन्दर वन हैं तेरे
उनकी आवाज़ में
अपनी आवाज़ मिलाने दे मुझे

मैं क्या
चुप रह जाऊँ
ऎ रूस !

बहुत ज़्यादा
सलीबें हैं
तेरे कब्रिस्तानों में
और ऎसी भी कब्रें बहुत
जिन पर नहीं सलीब

मैं कैसे
मदद करूँ तेरी
ऎ रूस!

वहाँ
कवि क्या मदद करेगा
जहाँ सत्ता
प्राय: कवियों को
देश निकाला दे देती है

रूस- मेरी देवि की छवि है
तेरी रोटी- मेरी हवि है
तेरा दुख- मेरा दुर्भाग्य
तेरा भाग्य- मेरा भी भाग्य
</poem>