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दिल्ली की सड़कें कितनी विरान हैसबसे बुरे दिनों मेंयह मैंने जानामुझे तुम्हारा साथ मिलातुम्हारे जाने के बाद जब मेरे पास जीने का कोईतुम जहां मकसद नहीं होतीबचा थावहां छांह और फाकाकशीमुझे संभलने का मौका नहीं होतीदे रही थीऔर उफयह धूप होती है कितनी तेजऐसे अंधेरे वक्त मेंकोई आसरा नहीं होताजब पांव डगमगा जाते हैं अक्सरहर आहट हो जाती है मुझे तुम्हारा साथ मिला तुम दूर से आती दिखती थीप्रेम और पत्थर पर बैठा मैंतुम्हें उठते हुए चांद की तड़प खत्म नहीं हुई हमारीतरह देखता थारोटी की लड़ाई लड़ता हुआ मैं इस उत्तर आधुनिक युग में भीतरहक्या मैं उम्मीद करूं किहवाओं चांद के झोंकों से भरा दरख्त बनकरकरीब चला जाता था चांद ठहरता नहीं हमेशा पूरी राततुम आओगी मेरे जीवन भी चली गई एक दिनएक ऐसे ही अंधेरे वक्त मेंगिरोगी ज्ब पांव डगमगा जाते हैं अक्सर मेरी आत्मा परआंखों में गहरे कहींठंडा बहता झरना बनकरतुम अमिट प्यास की तरह बस र्गएतुम्हारी पलकें झुकेंगीमेरी धमनियों में दौड़ते रक्त सेतुम्हारे नाम का संगीत उठता रहाऔर छुपा लेंगी मुझे अंदर कहीं वर्षों भटकता रहा मैंअनजान रास्तों परबिखरे केश में ढंक जाता है तुम्हारा चेहराचांद और बादल का ऐसा लौटता रहा बार बारअलौकिक दष्श्यसमझने की कोशिश मेंएक तुम्ही रच सकती होएस धरती पर कि आखिर किसने कहा थामुझे पता हैमैं खत्म हो जाऊंगा एक दिनतब भी नहीं देख पाऊंगा यह सच।तुम्हारे साथ रहूंगी हमेशा।
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