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झुण्ड / नीलेश रघुवंशी

No change in size, 15:11, 16 अप्रैल 2009
किसी की चोंच से गिरा कुछ धरती पर
काश...
ये वो पट्टि पट्टी हो जो झुण्ड में रहने और
दूसरों को जगह देने का पाठ पढ़ाती हो
कितना अच्छा हो...
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