भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=जिगर मुरादाबादी]]|संग्रह= }}
[[Category:कविताएँ]]
[[Category:जिगर मुरादाबादी]][[Category:गज़लग़ज़ल]]
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*<poem>
दिल गया रौनके रौनक-ए-हयात गई ।
ग़म गया सारी कायनात गई ।।
हाए हाय सरशरायां जवानी की,
आँख झपकी ही थी के रात गई ।
नहीं मिलता मिज़ाजेमिज़ाज-ए-दिल हमसे,
ग़ालिबन दूर तक ये बात गई ।
मौत आई अगर हयात गई ।
</poem>
Mover, Uploader
752
edits