भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 1

220 bytes added, 13:55, 12 फ़रवरी 2008
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रामधारी सिंह '"दिनकर'" |संग्रह= रश्मिरथी / रामधारी सिंह '"दिनकर'"
}}
 
[[रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 7|<< पिछला भाग]]
 
शीतल, विरल एक कानून शोभित अधित्यका के ऊपर,
लौह-दण्ड पर जड़ित पड़ा हो, मानो, अर्ध अंशुमाली।
 
[[रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 2|अगला भाग >>]]