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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-२ }} <poem> शायद किसी दिन मैं फिर आऊ...
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{{KKRachna
|रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-२
}}
<poem>
शायद किसी दिन
मैं फिर आऊंगा
शायद किसी दिन
तुम यों ही कहीं मिल जाओगी
बहुत बदल गये चेहरे भी एक दूसरे के
हम पहचान लेंगे
शायद शिनाख़्त न कर पायें
आपसी दुखों की
पर अब से थोड़ा समझदार होंगे
और दे सकेंगे दूसरे को
प्रेम और भरोसा ।
</poem>
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|रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-२
}}
<poem>
शायद किसी दिन
मैं फिर आऊंगा
शायद किसी दिन
तुम यों ही कहीं मिल जाओगी
बहुत बदल गये चेहरे भी एक दूसरे के
हम पहचान लेंगे
शायद शिनाख़्त न कर पायें
आपसी दुखों की
पर अब से थोड़ा समझदार होंगे
और दे सकेंगे दूसरे को
प्रेम और भरोसा ।
</poem>