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जीवन / कविता वाचक्नवी

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}}
<poem>
'''जीवन'''
 
 
जीवन तो
यों
चुक गया।
:::यह तपते अंगारों पर :::नंगे पाँवों :::हँस-हँस चलने :::बार-बार :::प्रतिपल जलने का :::नट-नर्तन है।
</poem>
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