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अपनी बेकार तमन्नओं पे शर्मिंदा हूँ मैं
अपनी बेसुद उम्मीदों पे निदामत है मुझे
[माज़ी=बीता हुआ; हिरासा=परेशान; अय्यम=दिन; बेसुद= बेहोश/बेखबर] <br>
मेरे माज़ी को अंधेरे में दबा रहने दो
मेरा माज़ी मेरी ज़िल्लत के सिवा कुछ भी नहीं
मेरी उम्मीदों का हासिल मेरी काचाह का सिला
एक बेनाम अज़ीयत के सिवा कुछ भी नहीं
[अज़ीयत=दुखदाई वस्तु; काचाह= खोज] <br>
कितनी बेकार उम्मीदों का सहारा लेकर
मैंने ऐवान सजाये थेय किसी की ख़ातिर
कितनी बेरब्त तमन्नाओं के माभम ख़ाके
अपने ख़्वाबों मे बसाये थे किसी की ख़ातिर
[ऐवान=महल; बेरब्त= अधूरी; माभम=छुपे हुए; ख़ाके= ढांचे] <br>
मुझसे अब मेरी मोहब्बत के फ़साने न पूछो
मुझको कहने दो के मैंने उंहें चाहा ही नहीं
और वो मस्त निगाहें जो मुझे भूल गई
मैंने उन मस्त निगाहों को सराहा ही नहीं <br>
मुझको कहने दो कि मैं आज भी जी सकता हूँ
इश्क़ नाकाम सही ज़िन्दगी नाकाम नहीं
उनको अपनाने की ख़्वाहिश उंहें पाने की तलब
शौक़ बेकार सही सै-ग़म अंजाम नहीं
[सै-ग़म=कहने के लिए] <br>
वही गेसू वही नज़र वही आरिद वही जिस्म
मैं जो चाहूँ कि मुझे और भी मिल सकते हैं
वो कँवल जिनको कभी मुनके लिये खिलना था
उनकी नज़रोन से बहुत दूर भी खिल सकते हैं <br>
[आरिद=होंठ]
</poem>
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