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हासिले-फ़िक्रे नारसा क्या है।

तू खु़दा बन गया बुरा क्या है॥


कैसे-कैसे ख़ुदा बना डाले।

खेल बन्दे का है ख़ुदा क्या है॥


दर्दे-दिल की कोई दवा न हुआ।

या इलाही! यह माजरा क्या है।।


नूर ही नूर है कहाँ का ज़हूर।

उठ गया परदा अब रहा क्या है॥


रहने दे हुस्न का ढका परदा।

वक़्त-बेवक़्त झाँकता क्या है॥