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|रचनाकार=यगाना चंगेज़ी
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
हासिले-फ़िक्रे नारसा क्या है।
तू खु़दा बन गया बुरा क्या है॥
कैसे-कैसे ख़ुदा बना डाले।
खेल बन्दे का है ख़ुदा क्या है॥
दर्दे-दिल की कोई दवा न हुआ।
या इलाही! यह माजरा क्या है।।
नूर ही नूर है कहाँ का ज़हूर।
उठ गया परदा अब रहा क्या है॥
रहने दे हुस्न का ढका परदा।
वक़्त-बेवक़्त झाँकता क्या है॥
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