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Kavita Kosh से
मुसोलिनी बहुत बक-बक करता है तारन्ता-बाबू,
आपोंआप
:::दोस्तों के बिना
::::बच्चे के समान
जो फेंक दिया गया हो अंधेरी रात में ।
बर्राता
::और जाग पड़ता अपनी ही आवाज़ से
सुलगता भय से
::दहकता हुआ ख़ौफ़ से,
बड़बड़ाता लगातार !
वह बहुत ज़्यादा बोल रहा है तारन्ता-बाबू
क्योंकि
::वह बेहद डरा हुआ है
''' अंग्रेज़ी से अनुवाद ::वह बेहद डरा हुआ हैसोमदत्त'''</poem>