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होश रखता हो जो इन्सान तो दिवाना बने॥
परतबे-रुख़ के करिश्मे थे सरे राह्गुज़र।राहगुज़र।
ज़र्रे जो ख़ाक से उट्ठे, वो सनमख़ाना बने॥
