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Kavita Kosh से
या बहुत हुआ तो आँगन
ही है उसका संसार।
माँ करती है बेटे का इंतज़ार
उन्हें नहीं जाना बाहर
उन्हें सिर्फ माँ बनना है
उन्होंने इंतज़ार में छलछलानी हैं आँखें
पथरानी हैं