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जहां में अब तो जितने रोज
 
अपना जीना होना है,
 
तुम्‍हारी चोटें होनी हैं-
 
हमारा सीना होना है।
 
वो जल्‍वे लोटते फिरते हैं
 
खाको-खूने-इंसॉं में :
 
'तुम्‍हारा तूर पर जाना
 
मगर नाबीना होना है।'
 
कदमरंजा है सूए-बाम
 
एक शोखी कयामत की:
 
मेरे खूने-हिना-परवर से
 
रंगो जीना होना है!
 
वो कल आएंगे वादे पर
 
मगर कल देखिए कब हो!
 
गलत फिर , हजरते-दिल
 
आपका तख्‍मीना होना है।
 
बस ए शमशेर, चल कर
 
अब कहीं उजलतगर्जी हो जा
 
कि हर शीशे को महफिल में
 
गदाए मीना होना है।