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जिंदगी को सजा नही नहीं पायाबोझ इसका उठा नही नहीं पाया
खूब चश्मे बदल के देख लिए
तीरगी को हटा नही नहीं पाया
प्यार का मैं सबूत क्या देता
चीर कर दिल दिखा नही नहीं पाया
जो थका ही नही सज़ा देते
वो खता क्यों बता नही नहीं पाया
वो जो बिखरा है तिनके की सूरत
बोझ अपना उठा नही नहीं पाया
आईने में खुदा को देखा जब
ख़ुद से उसको जुदा नही नहीं पाया
नाम "जगदीश " है कहा उसनेऔर कुछ भी बता नही नहीं पाया
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