भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आरज़ू लखनवी }} <poem> दिल का जिस शख़्स के पता पाया। उ...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=आरज़ू लखनवी
}}
<poem>

दिल का जिस शख़्स के पता पाया।
उसको आफ़त में मुब्तला पाया॥

नफ़ा अपना हो कुच तो दो नुक़सान।
मुझको दुनिया से खो के क्या पाया॥

बेकसी में भी गुज़र ही जाएगी।
दिल को मैं और दिल मुझे समझा गया॥

</poem>