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मैहला-केलि / अवतार एनगिल

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|संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एनगिल
}}
<poem>मेहलां केलि1केलि<sup>1</sup>
दालचीनी पर्वतों तले
नीली छतों वाले लकड़ी के घर के
दुमंजिलों के झरोखों से
मिट्टी रा2 रा<sup>2</sup> मोह
गुनगुनी धूप की टूटती किरणों-रचे
लिखणू3 लिखणू<sup>3</sup> देखता है
तृप्त पशु
सांझ के गहराते लाक्षा रंगों में
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