भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गौतम राजरिशी |संग्रह= }} <poem>ये तेरा यूँ मचलना क्या...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गौतम राजरिशी
|संग्रह=
}}
<poem>ये तेरा यूँ मचलना क्या
मेरे दिल का तड़पना क्या
निगाहें फेर ली तू ने
दिवानों का भटकना क्या
सुबह उतरी है गलियों में
हर इक आहट सहमना क्या
हैं राहें धूप से लथ-पथ
कदम का अब बहकना क्या
दिवारें गिर गयीं सारी
अभी ईटें परखना क्या
हुआ मैला ये आईना
यूँ अब सजना-सँवरना क्या
है तेरी रूठना आदत
मनाना क्या बहलना क्या
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=गौतम राजरिशी
|संग्रह=
}}
<poem>ये तेरा यूँ मचलना क्या
मेरे दिल का तड़पना क्या
निगाहें फेर ली तू ने
दिवानों का भटकना क्या
सुबह उतरी है गलियों में
हर इक आहट सहमना क्या
हैं राहें धूप से लथ-पथ
कदम का अब बहकना क्या
दिवारें गिर गयीं सारी
अभी ईटें परखना क्या
हुआ मैला ये आईना
यूँ अब सजना-सँवरना क्या
है तेरी रूठना आदत
मनाना क्या बहलना क्या
</poem>