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{{KKRachna
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
}}<poem>मुंशी जी तन्नाए
पर जब उनसे कहा गया,
ऎसा जुल्म और भी सह चुके हैं
तो चले गए दुम दबाए।
xxx
मुंशी जी के लड़के तन्नाए,
पर जब उनसे कहा गया,
ऎसा ज़ुल्म औरों पर भी हुआ है
तो वे और भी तन्नाए।</poem>
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|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
}}<poem>मुंशी जी तन्नाए
पर जब उनसे कहा गया,
ऎसा जुल्म और भी सह चुके हैं
तो चले गए दुम दबाए।
xxx
मुंशी जी के लड़के तन्नाए,
पर जब उनसे कहा गया,
ऎसा ज़ुल्म औरों पर भी हुआ है
तो वे और भी तन्नाए।</poem>