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झुण्ड / नीलेश रघुवंशी

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|रचनाकार=नीलेश रघुवंशी
|संग्रह=घर-निकासी / नीलेश रघुवंशी
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<poem> पक्षियों को झुण्ड में जाते देखती हूँ जब भी
पहुँच जाती हूँ बचपन के दिनों में
देखती हूँ
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