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कोई आतिश नहीं आतिशक़दः ए-ज़ात के बाद
राम-ओ-गौतम की ज़मीं हुर्मते-इन्सां इन्साँ की अमीं
बाँझ हो जाएगी क्या ख़ून की बरसात के बाद
तश्नगी है कि बुझाये नहीं बुझती ‘सरदार’
बढ़ गयी कौसरो-तस्नीम<ref>स्र्वर्ग स्वर्ग की हौज़ और नहर</ref> की सौगात सौग़ात के बाद
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