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{{KKRachna
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
|संग्रह=मेरा सफ़र / अली सरदार जाफ़री
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‘हवस को है निशाते-कार क्या-क्या’
-गा़लिब
बस निखरने ही को है दर्द के शो’ले का जमाल
चश्मे-मज़्लूम में थोडा़-सा जलाल और अभी
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