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मसख़रा / अवतार एनगिल

85 bytes added, 06:52, 7 नवम्बर 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एनगिल; तीन डग कविता / अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>जिस अनाम इमारत के
असंख्य दरवाज़े
एक्-दूसरे में खुलते हैं
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