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मेरे दाग़ याद आये गुल देखकर
कि बेज़ार वह सैरे-गुलशन से है
जलाने से भी तेरा शाकिर4 शाकिर<ref>शुक्रगुज़ार </ref> हूँ मैंगिला नाला-ए-अतिश-अफ़गन5 अफ़गन<ref>अग्निवर्षा करने वाला क्रन्दन </ref> से है
शबे-ग़म मुए-शमअ को देखकर
हमें ख़िजलत6 ख़िजलत<ref>शर्मसारी </ref> उस शोख़ बदज़न7 बदज़न<ref>शंकालु प्रेयसी </ref> से है
मेरा ख़ून क्या बाद गर्दन हुआ
कि बेताब वह दर्दे-गर्दन से है
जहाँ ख़ाक उड़ायी वहीं दबे दब रहेकदूरत अबस फ़िक्रे-मदफ़न8 मदफ़न<ref>समाधि की चिंता </ref> से है
नयी कुछ नहीं अपनी जाँ-बाज़ियाँ<ref>जान पर खेलने वाले शौक़ </ref>
यही खेल हमको लड़कपन से है
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