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[[Category:गज़ल]]
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सकूत-ए-शाम-ए-ख़िज़ाँ है क़रीब आ जाओ
बड़ा उदास समाँ है क़रीब आ जाओ
सकूतन तुमको ख़ुद पे भरोसा न हमको ज़ोम-ए-शामवफ़ा न ऐतबार-ए-ख़िज़ाँ है क़रीब आ जाओ <br>बड़ा उदास समाँ जहाँ है क़रीब आ जाओ <br><br>
न तुमको ख़ुद पे भरोसा न हमको ज़ोमराह-ए-वफ़ा <br>तलब में किसी को ध्यान नहीं न ऐतबारहुजूम-ए-जहाँ हमसफ़राँ है क़रीब आ जाओ <br><br>
राहजो दश्त-ए-तलब इश्क़ में किसी को ध्यान नहीं <br>बिछड़ें वो उम्र भर न मिले हुजूम-ए-हमसफ़राँ यहाँ धुआँ ही धुआँ है क़रीब आ जाओ <br><br>
जो दश्तये आँधियाँ हैं तो शहर-ए-इश्क़ में बिछड़ें वो उम्र भर न मिले <br>वफ़ा की ख़ैर नहीं यहाँ धुआँ ही धुआँ ज़माना ख़ाकफ़शाँ है क़रीब आ जाओ <br><br>
ये आँधियाँ हैं तो शहरफ़ाक़िह-ए-वफ़ा शहर की ख़ैर मजलिस नहीं <br>के दूर रहो ज़माना ख़ाकफ़शाँ ये बज़्म-ए-पीर-ए-मग़ाँ है क़रीब आ जाओ <br><br>
फ़ाक़िह-ए-शहर की मजलिस नहीं के दूर रहो <br>ये बज़्म-ए-पीर-ए-मग़ाँ है क़रीब आ जाओ <br><br> "फ़राज़" दूर के सूरज ग़रूब समझे गये <br>ये दौर-ए-कमनज़ारा है क़रिब आ जाओ <br><br/poem>
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