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[[Category:ग़ज़ल]]
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न कोई ख़्वाब न ताबीर ऐ मेरे मालिक
मुझे बता मेरी तक़सीर ऐ मेरे मालिक
न कोई ख़्वाब वक़्त है मेरे बस में न ताबीर ऐ मेरे मालिक<br>दिल पे क़ाबू हैमुझे बता मेरी तक़सीर है कौन किसका इनागीर1 ऐ मेरे मालिक<br><br>
न वक़्त उदासियों का है मेरे मौसम तमाम बस्ती परबस में न दिल पे क़ाबू है<br>है कौन किसका इनागीर1 एक मैं नहीं दिलगीर2 ऐ मेरे मालिक <br><br>
उदासियों का है मौसम तमाम बस्ती पर<br>सभी असीर हैं फिर भी अगरचे देखने हैंबस एक मैं नहीं दिलगीर2 है कोई तौक़3 न ज़ंजीर ऐ मेरे मालिक<br><br>
सभी असीर हैं फिर भी अगरचे देखने हैं<br>सो बार बार उजड़ने से ये हुआ है कोई तौक़3 कि अब रही न ज़ंजीर हसरत-ए-तामीर ऐ मेरे मालिक <br><br>
सो बार बार उजड़ने से ये हुआ है कि अब <br>रही न हसरत-ए-तामीर ऐ मेरे मालिक <br><br> मुझे बता तो सही मेहरो-माह किसके हैं<br>ज़मीं तो है मेरी जागीर ऐ मेरे मालिक <br><br> ‘फ़राज़’ तुझसे है ख़ुश और न तू ‘फ़राज़’ से है <br>सो बात हो गई गंभीर ऐ मेरे मालिक <br><br>
‘फ़राज़’ तुझसे है ख़ुश और न तू ‘फ़राज़’ से है
सो बात हो गई गंभीर ऐ मेरे मालिक
1. लगाम थामने वाला 2. ग़मगीन 3. गले में डाली जाने वाली कड़ी
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