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|रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-२
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आलोक श्रीवास्तव-२
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बहुत से शब्द
बहुत बाद में खोलते हैं अपना अर्थ
अपने दुख कम प्रतीत होते हैं तब
और अपना प्रेम कहीं बड़ा ।
 
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