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<poem>
शोख़ किरण ने
गीले रेशम बालों को जिस लम्हा छुआ
बेसाख्ता हँस दी
पलकों तक आते-आते
सूरज की हँसी भी
गोरी की मुस्कान की सूरत
सात रंग में भीग चुकी थी
</poem>
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