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हवा की चाल भी कुछ नामुनासिब होती जाती थी
सो तितली और मक्खी और हवा
नाम हरमों नामहरमों से दूर रखी जा रही हैं
मगर ये भी कोई सोचे
कि फिर फूलों का क्या होगा
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