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किसी ने देखा नहीं है / शांति सुमन
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10:08, 8 दिसम्बर 2009
नदी का हंसना।
धूप, बरखा
ओेढ़कर
ओढ़कर
भी
रुख हवा का मोड़कर भी
तानपूरे से विजन में स्वयं का कसना।
Shrddha
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