भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
*[[धार लगा कर सब आवाजें, आरी करनी हैं / ऋषभ देव शर्मा ]]
*[[औंधी कुर्सी, उस पर पंडा / ऋषभ देव शर्मा ]]
*[[कुर्ते की जेबें खाली हैं,औ' फटा हुआ है पाजामा / ऋषभ देव शर्मा ]]
*[[मानचित्र को चीरती, मज़हब की शमशीर / ऋषभ देव शर्मा ]]
*[[सभी रंग बदरंग हैं, कैसे खेलूँ रंग? / ऋषभ देव शर्मा ]]